Tuesday 13 September 2016

आसमां के नीचे गिरे पत्ते हरे हैं या सूखे क्या मालूम!

खुले आसमां के नीचे गीले पत्तों की तरह।
कोई गिला शिकवा हो मुझसे, मुस्कुराकर बोल दीजियेगा।

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