Monday 28 March 2016

बदलाव

जब हम नौसिखिये होते हैं या किसी काम के लिए नए होते हैं और कठिनाई से गुजरते हैं उसका सामना करते हैं तब हम चीज़ों को बदलना चाहते हैं क्योंकि हमें system में बहुत सी गड़बड़ियां नज़र आने लगती हैं और जब हम उन सब चीज़ों के आदी हो जाते हैं और जब रोज रोज उन्ही कामों से हमें गुजरना पड़ता है और हम used to हो जाते हैं तब हम बदलाव का विरोध करते हैं हम तब फिर नहीं चाहते की कुछ बदले और स्तिथियों में परिवर्तन नहीं चाहते तब हम क्योंकि तब तक हर परिस्तिथि से हम समझौता कर चुके होते हैं अगर ठीक से देखे तो सिर्फ हम मेहनत से , जिम्मेदारियों से जी चुराना जानते हैं और वही हम चाहते हैं क्योंकि हम हमेशा खुद की सहूलियत के हिसाब से सोचते हैं कभी सोचते हैं दूसरा बदले और कभी ऐसी विचारधारा बनाये रखते हैं कि कोई इसे बदलने के बारे में सोचे भी न। समय नहीं होता हमारे पास अपने हितों के अलावा दूसरों के हित में कुछ करने के लिए और वैसे भी हम सब तो सिर्फ बातों से जाने जाते हैं काम से तो बिलकुल ही नहीं। दोनों ही जगह हम गलत हैं हमें खुद को इतना बेहतर बनाना है कि हर परिस्तिथि में हम ढल सकें और साथ ही साथ दूसरों को उनके अनुसार ढाल सकें । तभी जाकर कुछ बेहतर हो सकता है और हो सकेगा। फालतू बैठकर लफ्फाजी मारने से और डींगे हांकने से कुछ न होगा। जैसे बिना खाये पिए ,भूख नहीं मिटती प्यास नहीं बुझती वैसे ही बिना कुछ करे जिंदगी भी नहीं संवरेगी और स्तिथियाँ भी बेहतर नही होंगी। बेहतर बनों और बेहतर बनाओ ख़याली पुलाव मत पकाओ।जिंदगी में तो फिसलन हर जगह है उन पर चलो और फिसलो भी पर सीखो हर चीज़ से हर उस बात से हर उस लम्हे से जो हमें कुछ नया और बेहतर सीखा कर जाता है जिंदगी के तजुर्बे देकर जाता है प्यार से हँसते हुए और मुस्कुरा कर उनको अपनाओ और अपनों से ,दूसरों से समय समय पर बांटो/ साझा करो।

Saturday 26 March 2016

Love (part 1)

मुझे पता कब चलता है कि मुझे प्यार होगया।मुझे तब लगता है महसूस होता है क़ि मेरे अंदर कुछ है  मुझमें कुछ है जो मुझे अलग सा अहसास कराता है मेरे अंदर एक नयी ऊर्जा का जन्म होता है जो हर पल ख़ुशी का माहौल बनाये रखती है जो मुझे थकने नहीं देती ,मायूस और निराश भी होने नहीं देती। जो मुझे हर पल मुझमे एक नयी जिंदगी का एहसास दिलाती है और जिंदगी को कई नयी दिशाएँ दिखाती है।राहें तो बहुत सारी होती है और उस पल और भी नयी राहें निकल आती हैं चुनना हमें होता है ये मालूम रखते हुए कि कुछ इस पल की भी निशानी हैं समय हमेशा सफलता के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है प्यार तो उस बीच बस हो जाता है।हर उस राह को जो प्यार जज़्बात और सफलता के बीच की लक्ष्मण रेखा है संभलकर पार करना पड़ता है ताकि किसी की भी गरिमा को ठेस न पहुँचे। प्यार तो एक लकीर की तरह होता है जो मिटती और बनती रहती है ये अच्छा या बुरा नहीं होता और सुख - दुःख का हिसाब इसमें नहीं होता। हाँ , उतार चढाव इसमें भी जरूर होते हैं लेकिन ये पूरी तरह से प्राकृतिक होता है बनावट की मिलावट इसमें नहीं होती और न ही होनी चाहिए।प्यार में हम खुद से बातें शुरू कर देते हैं हमारे अंदर की सारी बातें निकल कर हमसे बोलने लगती हैं हमारे साथ हंसीं मजाक करने लगती हैं। भूख प्यास कब लगती है और कब बुझ जाती है पता ही नहीं चलता और नींद रातों को कब आती है और कब चली जाती है सुध ही नहीं रहती। दिमाग़ क्या सोच रहा है क्या दिल कर रहा है क्या मन समझ रहा है दिल दिमाग में अंतर ही नहीं नजर आता। लगता है जैसे की दोनों एक होगये हों और जब प्यार पास हो तो लगता है जैसे मुझमें कुछ नहीं है सिर्फ धड़कन है जो महसूस होती है साँस हल्की- भारी होती है और भाव सिर्फ प्यार का होता है उस लम्हा मालूम न होता है कि functioning क्या है body की, मुँह से निकला हर लफ़्ज़ सही गलत की परवाह नहीं करता उन लम्हों में , उसकी फितरत तो बस मुँह से निकल जाने की होती है बातें शुरू करने और खूब बतियानें की होती है सिर्फ एक दूसरे का हाल मालूम करने और दिल बहलाने की होती है।खरीद नहीं सकता कोई इन लम्हों को और बयाँ कर सके तो उसे झील की गहराई तक उतर कर फिर से चढ़ना और ऊपर तक आना पड़ता है अहंकार शून्य होजाना पड़ता है। प्यार होना आसान हो पर मुश्किल इसे समझना और मुश्किल समझकर समझाना होता होता है।

Sunday 20 March 2016

True love एक सच्चा प्यार

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दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज , सबसे अमोल (priceless) उपहार (gift ) है ये प्यार! अगर कभी इसके दर्जे की बात आई तो मैं इसे समुद्र मंथन से निकले उस अमृत का दर्जा दूँगा जिसको पा लेने का एहसास बहुत खास और सबसे हटकर होता है जिसका मुकाबला दुनिया की कोई चीज़ नहीं कर सकती । अगर दुनिया बंधी हुई है तो सिर्फ इसी प्यार की डोर पर ,अगर कोई माँ अपने बच्चे से ही प्यार न करे तो इस दुनिया का खड़ा रह पाना बड़ा मुश्किल है 
मैं तो इसे शब्दों में बयां कर रहा हूँ लेकिन शब्द की परिभाषा भी इसके महत्व के सामने सारहीन है और नवविवाहिता के घूँघट के समान लज्जा और अनभिग्यता का परिचय है।
ये तो रही इसके महत्त्व की बात अब जानते हैं कि ये सच्चा प्यार होता क्या है और क्या होते हैं इसके लक्षण ।
सच्चा प्यार एक आंतरिक ख़ुशी और अंतः भावना का प्रतीक है।ये किसी के प्रति भी हो सकता है चाहे वो मनुष्य हो या फिर दुनिया में कुछ और, या फिर दुनिया से परे कुछ। 
कुछ भी हो क्या फ़र्क़ पड़ता है फ़र्क़ तो तब पड़ता है जब प्यार हो और सच्चा हो , चाहे कोई बूढ़ा हो या बच्चा हो।
अब हम बात करते हैं दो जोड़ियों की जो अपनी जवानी में प्यार के दरवाजे में दस्तक देती हैं और अपना सबकुछ इस छोटी पर अमूल्य ख़ुशी के लिए दांव पर लगा देती है।
तब उसे दुनिया जहाँ की फ़िक़्र नहीं होती, फ़िक़्र होती है तो सिर्फ अपने प्यार की, फिर चाहे वो उसे मिल पाया हो या फिर नहीं मिला हो। प्यार करने वाले तो सिर्फ एक दूसरे की ख़ुशी के ख़ातिर जीते हैं और एक दूसरे की बेहतरी की मनोकामना करते हैं।वो ये नहीं सोचते की ये मुझे चाहिए वो तो उस पंछी की तरह प्यार करते हैं जो एक छोटे बच्चे के पास बार बार आता है बच्चे के साथ खेलता है और फुर्र फुर्र उड़ता हुआ चला जाता है और वो बच्चा भी बहुत खुश होता है वो पंछी उस बच्चे के प्यार में इतना मशगूल हो जाता है की उसके प्यार की खातिर वो खुद पिंजड़े में बंद होने को तैय्यार हो जाता है बस यहाँ बच्चे के प्यार करने के तरीके का फ़र्क होता है की वो उसे प्रकृति के अनुसार प्यार करे या फिर मानवीय विकार के रूप में उसे पिजड़े में बंद करके प्यार करे।प्यार तो दोनों ही दशा में है बस फर्क है तो सिर्फ इतना कि दूसरे प्यार में शक की गुंजाईश है भरोसे की कमी है एक डर है और पिंजड़े में बंद करने का मतलब है की बच्चे को अपने प्यार पर भरोसा नहीं है उसे वो गुलाम की तरह रखना चाहता है जबकि वो ये नहीं जानता की प्यार तो सिर्फ खुले आसमान में उड़ता हुआ पंछी है जो कभी इस डाली बैठता है तो कभी उस डाली।पर जिस भी डाली वो जायेगा साया साथ तेरा वो हमेशा ले जायेगा।खूब ही कहते हैं कि इंसान का साया हमेशा उसके साथ चलता है कभी वो बड़ा चलता है तो कभी छोटा चलता है वो हमारे प्यार का प्रतीक होता है उसकी प्रेणना होता है हमारा प्यार हमारे अंदर बाहर सब - हर तरफ होता है हम जहाँ भी जाते हैं वो हमारे लिए,हमारे पीछे हममे होता हुआ हमारे साथ चलता चला जाता है।इसका एहसास ही बहुत सुहावना होता है।जब दो जोड़ियों के बीच प्यार के बीज अंकुरित होते हैं उनके रोम रोम तन जाते हैं दिमाग में रासायनिक क्रियान्वयन होने लगते हैं ध्यान दुनिया से भटक कर सिर्फ एक दूसरे पर ठहर जाता है दिल की धड़कनें भी अस्तव्यस्त होकर कभी ज्यादा तो कभी कम होने लगती हैं।आँखें शुरुआत में नजरें चुराने लगती हैं और समय के साथ साथ वो भी बेशर्म होने लगती हैं मन तो सिर्फ सोचता है अपने प्यार के लिए जैसा पारखी judge नहीं कर पाते अच्छे अछों को वैसा प्यार करने वाले चुटकियों में एक दूसरे को कर लेते हैं।एक दूसरे की छोटी छोटी बातें उन्हें मालूम हो जाती हैं छोटी छोटी कमियां पता चल जाती हैं खुशियाँ और तकलीफ तो वो आवाज और चेहरा पढ़कर ही समझ सकते हैं और बता सकते हैं।और तो और एक दूसरे से रुठने और मनाने की कला में तो वो माहिर होते हैं ये कुछ निशानियाँ होती हैं एक सच्चे प्यार की।