Sunday 20 March 2016

True love एक सच्चा प्यार

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दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज , सबसे अमोल (priceless) उपहार (gift ) है ये प्यार! अगर कभी इसके दर्जे की बात आई तो मैं इसे समुद्र मंथन से निकले उस अमृत का दर्जा दूँगा जिसको पा लेने का एहसास बहुत खास और सबसे हटकर होता है जिसका मुकाबला दुनिया की कोई चीज़ नहीं कर सकती । अगर दुनिया बंधी हुई है तो सिर्फ इसी प्यार की डोर पर ,अगर कोई माँ अपने बच्चे से ही प्यार न करे तो इस दुनिया का खड़ा रह पाना बड़ा मुश्किल है 
मैं तो इसे शब्दों में बयां कर रहा हूँ लेकिन शब्द की परिभाषा भी इसके महत्व के सामने सारहीन है और नवविवाहिता के घूँघट के समान लज्जा और अनभिग्यता का परिचय है।
ये तो रही इसके महत्त्व की बात अब जानते हैं कि ये सच्चा प्यार होता क्या है और क्या होते हैं इसके लक्षण ।
सच्चा प्यार एक आंतरिक ख़ुशी और अंतः भावना का प्रतीक है।ये किसी के प्रति भी हो सकता है चाहे वो मनुष्य हो या फिर दुनिया में कुछ और, या फिर दुनिया से परे कुछ। 
कुछ भी हो क्या फ़र्क़ पड़ता है फ़र्क़ तो तब पड़ता है जब प्यार हो और सच्चा हो , चाहे कोई बूढ़ा हो या बच्चा हो।
अब हम बात करते हैं दो जोड़ियों की जो अपनी जवानी में प्यार के दरवाजे में दस्तक देती हैं और अपना सबकुछ इस छोटी पर अमूल्य ख़ुशी के लिए दांव पर लगा देती है।
तब उसे दुनिया जहाँ की फ़िक़्र नहीं होती, फ़िक़्र होती है तो सिर्फ अपने प्यार की, फिर चाहे वो उसे मिल पाया हो या फिर नहीं मिला हो। प्यार करने वाले तो सिर्फ एक दूसरे की ख़ुशी के ख़ातिर जीते हैं और एक दूसरे की बेहतरी की मनोकामना करते हैं।वो ये नहीं सोचते की ये मुझे चाहिए वो तो उस पंछी की तरह प्यार करते हैं जो एक छोटे बच्चे के पास बार बार आता है बच्चे के साथ खेलता है और फुर्र फुर्र उड़ता हुआ चला जाता है और वो बच्चा भी बहुत खुश होता है वो पंछी उस बच्चे के प्यार में इतना मशगूल हो जाता है की उसके प्यार की खातिर वो खुद पिंजड़े में बंद होने को तैय्यार हो जाता है बस यहाँ बच्चे के प्यार करने के तरीके का फ़र्क होता है की वो उसे प्रकृति के अनुसार प्यार करे या फिर मानवीय विकार के रूप में उसे पिजड़े में बंद करके प्यार करे।प्यार तो दोनों ही दशा में है बस फर्क है तो सिर्फ इतना कि दूसरे प्यार में शक की गुंजाईश है भरोसे की कमी है एक डर है और पिंजड़े में बंद करने का मतलब है की बच्चे को अपने प्यार पर भरोसा नहीं है उसे वो गुलाम की तरह रखना चाहता है जबकि वो ये नहीं जानता की प्यार तो सिर्फ खुले आसमान में उड़ता हुआ पंछी है जो कभी इस डाली बैठता है तो कभी उस डाली।पर जिस भी डाली वो जायेगा साया साथ तेरा वो हमेशा ले जायेगा।खूब ही कहते हैं कि इंसान का साया हमेशा उसके साथ चलता है कभी वो बड़ा चलता है तो कभी छोटा चलता है वो हमारे प्यार का प्रतीक होता है उसकी प्रेणना होता है हमारा प्यार हमारे अंदर बाहर सब - हर तरफ होता है हम जहाँ भी जाते हैं वो हमारे लिए,हमारे पीछे हममे होता हुआ हमारे साथ चलता चला जाता है।इसका एहसास ही बहुत सुहावना होता है।जब दो जोड़ियों के बीच प्यार के बीज अंकुरित होते हैं उनके रोम रोम तन जाते हैं दिमाग में रासायनिक क्रियान्वयन होने लगते हैं ध्यान दुनिया से भटक कर सिर्फ एक दूसरे पर ठहर जाता है दिल की धड़कनें भी अस्तव्यस्त होकर कभी ज्यादा तो कभी कम होने लगती हैं।आँखें शुरुआत में नजरें चुराने लगती हैं और समय के साथ साथ वो भी बेशर्म होने लगती हैं मन तो सिर्फ सोचता है अपने प्यार के लिए जैसा पारखी judge नहीं कर पाते अच्छे अछों को वैसा प्यार करने वाले चुटकियों में एक दूसरे को कर लेते हैं।एक दूसरे की छोटी छोटी बातें उन्हें मालूम हो जाती हैं छोटी छोटी कमियां पता चल जाती हैं खुशियाँ और तकलीफ तो वो आवाज और चेहरा पढ़कर ही समझ सकते हैं और बता सकते हैं।और तो और एक दूसरे से रुठने और मनाने की कला में तो वो माहिर होते हैं ये कुछ निशानियाँ होती हैं एक सच्चे प्यार की।

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