Sunday 5 February 2017

गुरूर

ग़ुरूर हो भी तो इतना की कुछ दिखाई न दे। देखना जब पड़ जाये खुदको तो दुनिया दिख जाए ख़ुद में।

कुछ पल

कट गयी जिंदगी खुशियों के इस मैखाने में।
कुछ पल तुझे हँसाने में दो पल याद कराने में।
बीत गया हर लम्हां यूँ जाने - अनजाने में।
दो पल तुझे हँसाने में फिर उस पल की याद दिलाने में।

जी कर भी जिया जाये कैसे सीखा हमने तुम्हीं से यह।
अँधेरा हो या अकेलापन दूर हो कैसे , सीखा हमने तुम्ही से यह।
तुम हो तो सब है वरना यह जिंदगी भी छोटी नजर आती है।
जिक्र होता है तेरा और दिल से मेरे आवाज़ आती है।