Monday 26 February 2018

वो

रुक जाए हर कोशिश जहाँ।
रूह से क्या मिल सकेगी , वो।
धड़कनों से भी तेज धडक्कर।
क्या सांस मेरी बन सकेगी ,वो।
समझकर भी अनजान बनती है क्यों?
अगर मैं कुछ कहूँ तो क्या समझ पाएगी ,वो।
रोज उसकी याद में तड़पा हूँ जैसे मैं।
क्या मेरे एहसास को महसूस कर पायेगी ,वो।
वैसे तो मैं उसका कोई नहीं लगता।
लेकिन हमारा दिल जानता है एकदूसरे को।
करीब होकर एक दूसरे के ,
महसूस कराता है धड़कनों को।
मुलाकात जब मुकम्मल न हो
फिर दर्द उठता है जहन में क्यों?
पास होकर भी कुछ न कह सकें जब।
दर्द फिर भी दिल में छिपकर रोता है क्यों?
समझ नहीं आता क्या है ये रिश्ता?
जो अनजान पहचान को अनजान नहीं समझता।
जिंदगी के कुछ रंग इसमें मिलाकर।
खुद की पहचान से भी गहरा कर देता है उसको।
इश्क़ के पन्नो में लिखकर नाम मेरा वो।
कुछ रंग मुझ रंग में मिला दे।
दो बात फिर कहे मुझसे वो, और
इस दो में मुझे भी शामिल करा दे।

Monday 8 January 2018

मैं कौन हूँ१

मैं कोई शक्ल नहीं ना मैं कोई नाम हूँ।
मैं एक सोच हूँ जो मेरी भावनाओं से व्यक्त होती है।
मैं एक बदलता स्वरूप हूँ जो वक्त के थपेड़ों को साथ लेकर सिमटता जाता है जो सोच ,समय और बदलाव के साथ चलता चला जाता है।

Sunday 7 January 2018

नीर हो रक्त जब फिर

बह रहा था नीर जिसमें,
खून उसका क्या खौलेगा।
स्व के अपमान में भी।
थोड़ा तो वह रो लेगा।
बह गया जो रक्त उसमें भी
नीर भी अब रक्त हो ले गा।
दौड़ गया अगर नसों में वो
तो फिर स्व को खुद से तौलेगा।

व्यथा

लोग बहुत मिलते हैं
रास्ते भी बदलते हैं
हम पहले भी चलते थे
हम आज भी चलते हैं।

वजह

ये जरूरी नही कि मेरे शब्द क्या हैं!
मेरे शब्दों को वजह मिलना जरूरी है।

Saturday 6 January 2018

Kadr

Kuch iss kadar kaha hai maine
Achha lage to kadr kijiyega
Raste par pada koi patthar
Musafir samajh kar rakh lijiyega
Rahi baat iss kadr ki jo
Shabd hai par amal jarur kijiyega
Nibhana ho jab kuch kabhi kahin
Rishton ki dor me isse bandh dijiyega