Sunday 7 January 2018

नीर हो रक्त जब फिर

बह रहा था नीर जिसमें,
खून उसका क्या खौलेगा।
स्व के अपमान में भी।
थोड़ा तो वह रो लेगा।
बह गया जो रक्त उसमें भी
नीर भी अब रक्त हो ले गा।
दौड़ गया अगर नसों में वो
तो फिर स्व को खुद से तौलेगा।

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