मैं कोई शक्ल नहीं ना मैं कोई नाम हूँ। मैं एक सोच हूँ जो मेरी भावनाओं से व्यक्त होती है। मैं एक बदलता स्वरूप हूँ जो वक्त के थपेड़ों को साथ लेकर सिमटता जाता है जो सोच ,समय और बदलाव के साथ चलता चला जाता है।
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