मुझे पता कब चलता है कि मुझे प्यार होगया।मुझे तब लगता है महसूस होता है क़ि मेरे अंदर कुछ है मुझमें कुछ है जो मुझे अलग सा अहसास कराता है मेरे अंदर एक नयी ऊर्जा का जन्म होता है जो हर पल ख़ुशी का माहौल बनाये रखती है जो मुझे थकने नहीं देती ,मायूस और निराश भी होने नहीं देती। जो मुझे हर पल मुझमे एक नयी जिंदगी का एहसास दिलाती है और जिंदगी को कई नयी दिशाएँ दिखाती है।राहें तो बहुत सारी होती है और उस पल और भी नयी राहें निकल आती हैं चुनना हमें होता है ये मालूम रखते हुए कि कुछ इस पल की भी निशानी हैं समय हमेशा सफलता के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है प्यार तो उस बीच बस हो जाता है।हर उस राह को जो प्यार जज़्बात और सफलता के बीच की लक्ष्मण रेखा है संभलकर पार करना पड़ता है ताकि किसी की भी गरिमा को ठेस न पहुँचे। प्यार तो एक लकीर की तरह होता है जो मिटती और बनती रहती है ये अच्छा या बुरा नहीं होता और सुख - दुःख का हिसाब इसमें नहीं होता। हाँ , उतार चढाव इसमें भी जरूर होते हैं लेकिन ये पूरी तरह से प्राकृतिक होता है बनावट की मिलावट इसमें नहीं होती और न ही होनी चाहिए।प्यार में हम खुद से बातें शुरू कर देते हैं हमारे अंदर की सारी बातें निकल कर हमसे बोलने लगती हैं हमारे साथ हंसीं मजाक करने लगती हैं। भूख प्यास कब लगती है और कब बुझ जाती है पता ही नहीं चलता और नींद रातों को कब आती है और कब चली जाती है सुध ही नहीं रहती। दिमाग़ क्या सोच रहा है क्या दिल कर रहा है क्या मन समझ रहा है दिल दिमाग में अंतर ही नहीं नजर आता। लगता है जैसे की दोनों एक होगये हों और जब प्यार पास हो तो लगता है जैसे मुझमें कुछ नहीं है सिर्फ धड़कन है जो महसूस होती है साँस हल्की- भारी होती है और भाव सिर्फ प्यार का होता है उस लम्हा मालूम न होता है कि functioning क्या है body की, मुँह से निकला हर लफ़्ज़ सही गलत की परवाह नहीं करता उन लम्हों में , उसकी फितरत तो बस मुँह से निकल जाने की होती है बातें शुरू करने और खूब बतियानें की होती है सिर्फ एक दूसरे का हाल मालूम करने और दिल बहलाने की होती है।खरीद नहीं सकता कोई इन लम्हों को और बयाँ कर सके तो उसे झील की गहराई तक उतर कर फिर से चढ़ना और ऊपर तक आना पड़ता है अहंकार शून्य होजाना पड़ता है। प्यार होना आसान हो पर मुश्किल इसे समझना और मुश्किल समझकर समझाना होता होता है।
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