Tuesday, 21 July 2015

तू

तुम मुझमें हो । 
तुम मैं नहीं हो।

इस दिल में हो पर
जहन में नहीं हो।

यादों में हो लेकिन 
मेरी हर याद नहीं हो।

मेरे सपनों में हो,
मेरी परछांई नहीँ हो।
मेरी बातों में भी हो पर
मेरे जज़्बात नही हो।

मुलाकातों में तो हो ,
तुम मेरे साथ नहीं हो।

नशा हो मेरा ,हल्का है मगर थोड़ा । ऐ हमदर्द मेरे !सूना है बहुत दिल मेरा। 
अगर याद न आये तेरी ,होता नहीँ मुझमें सवेरा।
जब निकल जाएगी तू इस दिल से
तब मैं हो जाऊंगा घना अँधेरा।

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