हमारा डर हमारा control है दुनिया में जीने का ,survive करने का और साथ ही साथ डर हमारा बोध है conscious level है जो हमारी सोच की उपज और जिंदगी की एक बेहतर दिशा है हमें पता होना चाहिए की कहाँ हमें डरने की जरूरत है और कहाँ हिम्मत दिखाने की। डरना हमेशा उस चीज़ से चाहिए जिसके बारे में हम कुछ भी नहीं जानते हैं जो हमसे और हम जिससे पूरी तरह अनजान हों।
हम छिपकली को भगाते हैं अपने कमरे से ,क्योंकि हम डरते हैं उससे या उसकी activity से ,उसके natural nature&behavior से।
रास्ते में भौंकते हुए कुत्तों को पत्थर मारकर भगाते हैं या बिना देखे डर को काबू में करके धड़कन normal रखकर ,mind normal and quite रखकर आराम से वहां से निकल जाते हैं । हम जानवरों को डराते हैं क्योंकि हम उनसे डरते हैं और अपने डर से निजात पाने के लिए या फिर उस situation को overcome करने के लिए या हर बार आपके साथ या बार-बार किसी और के साथ कोई घटना न हो जाये ,इसके लिए जानवरों को डर का एक सबक देने की कोशिश करते हैं।(यहाँ मेरा मकसद जानवरों को नुक्सान पहुँचाने से बिलकुल भी नहीं है मैं यहाँ एक general thinking और एक आम इंसानी सोच को represent कर रहा हूँ कि जिससे हमें डर लगता है उस डर से निजात पाने के लिए हम उसे डराने की कोशिश करते हैं कदम -कदम पर गिराने की कोशिश करते हैं ,हर जगह जहाँ भी मौका मिलता है उसे बदनाम करने की कोशिश करते हैं उससे दुश्मनी बसा लेते हैं अपने दिल में।)
ठीक ऐसा ही इंसानों के साथ होता है इंसान हमेशा दूसरे इंसान से डरता है ,insecure महसूस करता है ,ईर्ष्या करता है या comptite करने की कोशिश में लगा रहता है।कोई भी नया idea उसको आता है जल्दी share करना नहीँ चाहता । डर! डर भरोसे में कमीं आज के दौर में आज के समय।ये सिर्फ इंसानी सोच में लंगड़ापन /अपंगता है और कुछ नहीं।
डर क्या है ?हम तो सांप से भी डरते हैं शेर से भी डरते हैं बिच्छु से भी डरते हैं चींटी से भी डरते हैं और यहाँ तक भी हम अपने आप से भी डरते हैं और जब भी हमें डर लगता है तो हम frustrated हो जाते हैं और फिर दूसरों पर अपना frustration निकालने की कोशिश करते हैं तरीके बहुत सारे होते हैं लेकिन सबका मकसद और result एक ही होता है।डर!डर पैदा करना।इसको पैदा करने के नए नए तरीके इज़ात करना।आतंक भी डर के बलबूते पनपता और फैलता है।
रास्ते में भौंकते हुए कुत्तों को पत्थर मारकर भगाते हैं या बिना देखे डर को काबू में करके धड़कन normal रखकर ,mind normal and quite रखकर आराम से वहां से निकल जाते हैं । हम जानवरों को डराते हैं क्योंकि हम उनसे डरते हैं और अपने डर से निजात पाने के लिए या फिर उस situation को overcome करने के लिए या हर बार आपके साथ या बार-बार किसी और के साथ कोई घटना न हो जाये ,इसके लिए जानवरों को डर का एक सबक देने की कोशिश करते हैं।(यहाँ मेरा मकसद जानवरों को नुक्सान पहुँचाने से बिलकुल भी नहीं है मैं यहाँ एक general thinking और एक आम इंसानी सोच को represent कर रहा हूँ कि जिससे हमें डर लगता है उस डर से निजात पाने के लिए हम उसे डराने की कोशिश करते हैं कदम -कदम पर गिराने की कोशिश करते हैं ,हर जगह जहाँ भी मौका मिलता है उसे बदनाम करने की कोशिश करते हैं उससे दुश्मनी बसा लेते हैं अपने दिल में।)
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डर क्या है ?हम तो सांप से भी डरते हैं शेर से भी डरते हैं बिच्छु से भी डरते हैं चींटी से भी डरते हैं और यहाँ तक भी हम अपने आप से भी डरते हैं और जब भी हमें डर लगता है तो हम frustrated हो जाते हैं और फिर दूसरों पर अपना frustration निकालने की कोशिश करते हैं तरीके बहुत सारे होते हैं लेकिन सबका मकसद और result एक ही होता है।डर!डर पैदा करना।इसको पैदा करने के नए नए तरीके इज़ात करना।आतंक भी डर के बलबूते पनपता और फैलता है।
हिम्मत एक ऐसी ताकत है जो हमारे डर को काबू में रखती है और साथ ही साथ हमारे एहसास और potentials में बदलाव करती है जिससे हम चीज़ों से useto हो जाते हैं और हमारा डर खत्म होता जाता है। यही समय के साथ हमारा experience बन जाता है और इसी एक्सपीरियंस को साथ में लेकर हम दूसरों के डर को काबू में करने या खत्म करने में जुट जाते हैं जो समय के साथ -२ दूसरों का एक्सपीरियंस बनता जाता है।
आज इंसान जब भी success की पहली सीढ़ी चढ़ता है उसका डर कम होता जाता है जिसे वो पहले अपना डर समझता था उसमे गिरावट आने लगती है और साथ हि साथ उसके नए डर शुरू भी होते जाते है ।(security,money,bank balance,shares ,family )
आज इंसान जब भी success की पहली सीढ़ी चढ़ता है उसका डर कम होता जाता है जिसे वो पहले अपना डर समझता था उसमे गिरावट आने लगती है और साथ हि साथ उसके नए डर शुरू भी होते जाते है ।(security,money,bank balance,shares ,family )