अश्क़ में घुल गया जो गम नहीं एक गुल था वो।
बह रहा था टिप टिप करके सूख गया गिरके मुझमें वो।।
Monday, 18 September 2017
Sunday, 5 February 2017
कुछ पल
कट गयी जिंदगी खुशियों के इस मैखाने में।
कुछ पल तुझे हँसाने में दो पल याद कराने में।
बीत गया हर लम्हां यूँ जाने - अनजाने में।
दो पल तुझे हँसाने में फिर उस पल की याद दिलाने में।
जी कर भी जिया जाये कैसे सीखा हमने तुम्हीं से यह।
अँधेरा हो या अकेलापन दूर हो कैसे , सीखा हमने तुम्ही से यह।
तुम हो तो सब है वरना यह जिंदगी भी छोटी नजर आती है।
जिक्र होता है तेरा और दिल से मेरे आवाज़ आती है।
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